किसान भाइयो चना की खेती से कमाने है लाखों रूपये, तो आज ही इन बातों का रखें विशेष ध्यान
चना की उन्नत खेती से अधिक मुनाफा प्राप्त करें। जानें बुआई का सही समय, खाद प्रबंधन, सिंचाई और कीट-रोग नियंत्रण के उन्नत तरीके।
किसान भाइयो चना की खेती से कमाने है लाखों रूपये, तो आज ही इन बातों का रखें विशेष ध्यान
Khet Tak, किसान भाइयो आप सभी भली भांति जानते है की फ़िलहाल रबी फसलों का सीजन शुरू हो गया है। किसान चने की खेती में अधिक उत्पादन के लिए चने की बुवाई का कार्य शुरू कर दिया है। ऐसे में अधिकतर किसान नार्मल तरीके से चने की खेती करते है जिससे किसान को नुकसान तो होता ही है और उत्पादन भी बहुत कम होता है। यदि चने की खेती को वैज्ञानिक और उन्नत तरीके से किया जाए, तो किसानों को बेहतर उत्पादन और उच्च लाभ मिल सकता है। इस रिपोर्ट में हम चने की बुआई, उचित मिट्टी, खाद प्रबंधन, सिंचाई, और कीट-रोग नियंत्रण के तरीकों की जानकारी देंगे, जिससे किसान भाइयों को इस बार की फसल में अधिक से अधिक लाभ मिलेगा । अगर आप चने की खेती करते हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होने वाली है ।
बुआई का सही समय
चना की फसल के लिए सही समय पर बुआई करना आवश्यक है।
असिंचित चना: 10 से 25 अक्टूबर के बीच बुआई करें।
सिंचित चना: 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक बुआई करें।
इस समय पर बुआई करने से पौधों की वृद्धि सही तरीके से होती है, और यह मौसम के अनुकूल रहती है।
मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएं
चना के लिए काली दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल ठंडी और शुष्क जलवायु में बेहतर तरीके से पनपती है। हालांकि, आजकल बाजार में ऐसी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिन्हें हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन अधिक उत्पादन के लिए मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
बीज की मात्रा और पंक्तियों में बुआई
बीज की मात्रा सही होना जरूरी है ताकि पौधों की ग्रोथ बेहतर हो।
देसी काला चना: 50-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
काबुली चना: 70-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
पंक्तियों में बुआई के लिए सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए। इससे बीज का संतुलित वितरण होता है और उत्पादन बेहतर होता है।
भूमि की तैयारी और जैविक खाद
खेत की गहरी जुताई और अच्छी तरह से मिट्टी को भुरभुरा बनाना फसल के लिए लाभकारी होता है।
खेत में 5 से 7 टन गोबर की खाद डालें।
बीज उपचार में ट्राइकोडरमा या कार्बेंडाजिम का उपयोग करें, जिससे बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।
सिंचाई प्रबंधन
असिंचित फसल में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, लेकिन सिंचित खेती में बुआई के बाद, फूल आने से पहले और फलियां बनने से पहले सिंचाई जरूरी होती है। अगर मौसम में बारिश हो जाती है, तो सिंचाई की आवश्यकता कम हो सकती है।
खाद और उर्वरक प्रबंधन
जैविक खाद: 8 से 10 ट्रॉली गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें।
रासायनिक उर्वरक: 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा फॉस्फोरस और 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। उर्वरकों का संतुलित उपयोग उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है।
आवश्यकताएं मात्रा
देसी चने की बीज मात्रा 50-60 किग्रा/हेक्टेयर
काबुली चने की बीज मात्रा 70-80 किग्रा/हेक्टेयर
जैविक खाद 8-10 ट्रॉली/हेक्टेयर
रासायनिक उर्वरक 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा फॉस्फोरस, 20 किग्रा पोटाश
कीट और रोग नियंत्रण
बीज उपचार करने से चने की फसल को कई बीमारियों और कीटों से बचाया जा सकता है। फली बेधक कीट के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36% एसएल का छिड़काव किया जा सकता है।
उन्नत किस्में और उत्पादन क्षमता
आजकल चने की कई उन्नत और प्रमाणित वैरायटी बाजार में उपलब्ध हैं। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के आधार पर सही किस्म का चयन करें। सही विधियों से खेती करने पर असिंचित चने का उत्पादन 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सिंचित चने का उत्पादन 30-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है।